ग्लोबल वार्मिंग - Global Warming
ग्लोबल वार्मिंग - Global Warming
ग्लोबल वार्मिग आज वर्तमान में एक गम्भीर विषय है। दुनिया में बढ़ती औद्योगिक क्रान्ति के बाद यह समस्या और अधिक बढ़ गई है। वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि के कारण पृथ्वी के वातावरण में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। जिससे बाढ़, तूफान, बारिश, भू-स्खलन, ग्लेशियर का पिघलना इत्यादि शामिल हैं।
Global Warming Effect |
क्या है ग्लोबल वार्मिंग?
(What is Global Warming)
पृथ्वी के वातावरण में लगातार तापमान की वृद्धि होने को हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। वायुमण्डल में कार्बन-डाईऑक्साइड की बढ़ोत्तरी इसका प्रमुख कारण है जिससे तापमान में वृद्धि होती है। यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता नहीं तो भविष्य में इसके और भी घातक परिणाम हमें देखने को मिलेंगे। आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं तथा समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
(Reasons of Global Warming)
ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है वातावरण में कार्बनडाईऑक्साईड की मात्रा का बढ़ जाना। पृथ्वी के वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा अत्यधिक होनी चाहिए लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है जिसके चलते ओजोन की पर्त में छिद्र बढ़ता जा रहा है। जिससे सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आ जाती है जिसका असर सीधे तौर पर ग्रीन हाऊस पर पड़ता है। वातावरण में गर्मी की मात्रा अत्यधिक हो जाती है, ग्लेशियर पिघलने लगते हैं तथा समुद्र तल में बढोत्तरी होने लगती है, रेगिस्तान गर्म होने के कारण उसका क्षेत्रफल बढ़ने लगता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ग्रीन हाऊस में असन्तुलन होने के कारण ग्लोबल वार्मिग का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसका जल्द ही समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।
प्रमुख कारण
- जनसंख्या में वृद्धि होना
- औद्योगिकरण
- जंगलों की कटाई करना
ग्रीन हाऊस क्या है? (What is Green House?)
ग्रीन हाऊस क्या है आईये जानते हैं। पृथ्वी के चारो ओर वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसों का आवरण बना होता है जो पृथ्वी को सुरक्षा प्रदन करता है। जिसकी अपनी एक मात्रा होती है। जिससे पृथ्वी का संतुलन बना रहता है। परन्तु आज के समय में प्रदूषण की बढ़ती समस्या के कारण इनका संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिसके कारण ग्लोबल वार्मिग का खतरा बढ़ता जा रहा है। जो मनुष्य के लिए अच्छी बात नहीं है।
पृथ्वी के वातावरण परिवर्तन के लिए के उत्तरदायी ग्रीन हाऊस गैसें निम्नलिखित है -
कार्बन डाई ऑक्साईड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन, वाष्प और ओजोन। इनमें पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते औद्योगिकरण के कारण कार्बन डाई ऑक्साईड की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई हैं।
इसके प्रभाव (Effects)
ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ता ही जा रहा है। जिस प्रकार अन्य आपदायें पृथ्वी पर आती हैं जिसका असर बहुत ही खतरनाक होता है लेकिन ग्लोबल वार्मिक का प्रभाव इतना बड़ा है कि इसकी भरपाई करना मनुष्य के बस के बाहर होगा।
इससे पड़ने वाले प्रमुख प्रभाव है जैसे -
- बर्फ पिघलने से जल में वृद्धि होना।
- ओजोन पर्त का कमजोर होना।
- रेगिस्तान में विस्तार होना।
- जीव-जन्तुओं की प्रजातियों का विलुप्त होना।
- असन्तुलन होने के कारण मौसम में बदलाव होता जा रहा है।
- कहीं ज्यादा वर्षा हो रही है तो कहीं सुखा पड़ रहा है।
- प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ना जैसे - बाढ़, सूखा, चक्रवात, सुनामी, भू-स्खलन, महामारी का बढ़ना इत्यादि।
- शुद्ध आक्सीजन की कमी से मनुष्यों में दिन-प्रतिदिन रोगों में वृ़िद्ध होना।
- कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से कैंसर जैसी गम्भीर बिमारियाँ बढ़ती जा रही है।
समाधान (Solutions)
पृथ्वी को बचाना है तो समाधान तो निकालना ही होगा। पर्यावरण को बचाकर ही हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं। रोजमर्रा के कार्यो में थोड़ा बदलाव करके हम इस समस्या का समाधान पा सकते हैं जैसे -
- पेड़ों की कटाई बन्द हो तथा इसकी जगह नये पेड़ों को लगायें।
- प्रदूषण फैलाने वाली उद्योगों पर रोक लगाने की आवश्यकता है।
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगानी चाहिए।
- बिजली से चलने वाले उपकरणों - जैसे - ए0सी0, फ्रिज इत्यादि का कम से कम प्रयोग करें।
- जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण की आवश्यकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले जीवित प्राणियों पर खतरा बढ़ता जा रहा है। मनुष्य को प्रकृति के साथ खिलवाड़ बन्द करना चाहिए जिससे प्रकृति का सन्तुलन बना रह सके। बिजली से चलने वाले उपकरणों का प्रयोेग कम करें तथा इसकी बजाये सौर ऊर्जा का उपयोग करें। जल का बेवजह दोहन न करें। नये पेड-पौधों को लगायें, जिससे वातावरण में उपस्थित कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा को कम किया जा सके। मनुष्य इन बातों जितना जल्दी समझ लेगा उतना ही अच्छा होगा।
आशा करते हैं कि आप सभी को यह ‘‘ग्लोबल वार्मिंग’’ विषय पर लेख पसंद आया होगा।
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